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 के हो यो ? अनि के गर्न लागेका छन यिनिहरु ?
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Posted on 01-30-07 3:23 AM     Reply [Subscribe]
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तलको लिन्क्मा जानुहोस् सत्य के हो ? कस्को हो यो साईट ?

http://www.madhesh.com/news.php
 
Posted on 01-30-07 4:32 AM     Reply [Subscribe]
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Domain Name.......... madeshi.com
Creation Date........ 2006-10-03
Registration Date.... 2006-10-03
Expiry Date.......... 2007-10-03
Organisation Name.... Raminta Daniulaityte
Organisation Address. 2324 Faircreek Ridge
Organisation Address.
Organisation Address. Fairborn
Organisation Address. 45324
Organisation Address. OH
Organisation Address. UNITED STATES

Admin Name........... Raminta Daniulaityte
Admin Address........ 2324 Faircreek Ridge
Admin Address........
Admin Address........ Fairborn
Admin Address........ 45324
Admin Address........ OH
Admin Address........ UNITED STATES
Admin Email.......... raminta_daniul@yahoo.com
Admin Phone.......... +1.9378381177
Admin Fax............

Tech Name............ YahooDomains TechContact
Tech Address......... 701 First Ave.
Tech Address.........
Tech Address......... Sunnyvale
Tech Address......... 94089
Tech Address......... CA
Tech Address......... UNITED STATES
Tech Email........... domain.tech@YAHOO-INC.COM
Tech Phone........... +1.6198813096
Tech Fax.............
Name Server.......... yns1.yahoo.com
Name Server.......... yns2.yahoo.com
 
Posted on 01-30-07 5:22 AM     Reply [Subscribe]
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Bhate that site is horrible and scary........looks like .........

राज्यकी पुनर्संरचना या स्वतन्त्र मधेश
Aazaad on 30 December 2006 - 04:22
राज्यकी पुनर्संरचना या स्वतन्त्र मधेश

--आज़ाद--

क्या राज्यकी पुनर्संरचना से मधेश की समस्याएँ सुलझाई जा सकती है ? क्या हमें एक स्वतन्त्र मधेश के लिए संघर्ष करना नहीं चाहिए ? राज्यकी पुनर्संरचना क्या कर सकती है और क्या नहीं, और हमें क्यों एक स्वतन्त्र मधेश के लिए ही संघर्ष करना चाहिए, उसके कुछ कारण निचे दिए जाते हैं ।

कारण-१
राज्यकी पुनर्संरचना के दौरान मधेश को एक अविभाज्य क्षेत्र बनाने के वजाय इसे दो या ज्यादा टुकडों मे बाँटने की सम्भावना ज्यादा है । ईसके लिए न केवल पहाडी या शासक वर्ग कोशिस करेगें, बल्कि उनके षडयन्त्र और ऐसा होने के परिणाम से अनभिज्ञ कई मधेशी समुदाय भी इनके जाल मे फंसे हुए हैं । मधेश के टुकडा होने से न केवल हमारी पहचान लोप हो जाएगा, बल्कि हमारी शक्ति को विभाजन करके हमे अपने अधिकार से सदा के लिए वंचित किया जाएगा । Divide और Conquer के सिद्धान्त अपनाते हुए वे हम पे सदाके लिए शासन करेंगे और मधेशी अपने आधारभूत अधिकारों से भी सदाके लिए वंचित हो जाएगा ।


स्वतन्त्र मधेश ऐसा होने से रोक सकता है, मधेश को एक अखण्ड राज्य बना सकता है; ईसलिए हमे राज्यकी पुनर्संरचना के लिए ही नहीं, बल्कि एक अखण्ड स्वतन्त्र मधेश के लिए संघर्ष करना जरूरी है ।






कारण-२

मधेशकी जमीन सदियों से पहाडी प्रवासीयों (migrants) को दिया जा रहा है, झापा और चितवन जैसे जिल्लाओंमे पहाडी प्रवासीयों को लगभग पुरी तरह से settlement कर दिया गया है, और बाँकी जिल्लोंमे भी यह काम कभी land-reform तो कभी resettlement के नाम पे तीब्र गति से किया जा रहा है । क्या राज्यकी पुनर्संरचना से ही ये पहाडी migration की समस्या को सुलझाया जा सकता है, पहाडीयों को मधेशमे बसने से रोका जा सकता है ? अगर नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब और जिल्ला भी झापा या चितवन की तरह पूरी तरहसे पहाडीयों से भर जाएगा, और मधेशी केवल उनका दास बन कर रह जाएगा ।


ईस समस्या का समाधान एक स्वतन्त्र मधेश के बनने से ही हो सकता है, और ईसलिए हमे एक स्वतन्त्र मधेश बनाने के लिए संघर्ष करना जरूरी है ।

कारण-३


आज मधेशमे सारे बडे अफिसर और CDOs अक्सर पहाडी है, क्या राज्यकी पुनर्संरचना से ईसे रोका जा सकता है ? याद रहे, अगर पूरे मधेशी गाँवमे एक भी पहाडी आ जाता है, तो वही वहाँका नेता बन जाता है, प्रशासन उसी एक को पुछता है, वही गावँका अध्यक्ष से लेकर उस क्षेत्रका सांसद तक बन जाता है । और राज्यकी पुनर्संरचना होने के बाद भी मधेशमे इतने सारे पहाडी रहेगा कि उसके शासन मे कोई बदलाव आएगा और मधेशी शोषित नहीं होगा, कहा नहीं जा सकता ।


ईस समस्या का समाधान एक स्वतन्त्र मधेश के निर्माण से ही हो सकता है, केवल राज्यकी पुनर्संरचना नहीं ।

कारण-४


ये बात छूपी हुई नहीं है कि सरकारी कामकाज और नौकरी ज्यादातर पहाडीयों को दिया जाता है, और मधेशी बेरोजगार होते रहे है । केवल राज्यकी पुनर्संरचना से आप कैसे उन पहाडीयों को, जो मधेशमे होगें और दूसरे क्षेत्रसे भी आएगें, मधेशमे कामकाज और नौकरी लेने से रोक पाएंगे ?


ये बात एक स्वतन्त्र मधेश के बनने से ही रोका जा सकता है, तभी ही मधेशकी नौकरी मधेशीको ही दिया जा सकता है, किसी विदेशी को नहीं ।

कारण-५


क्या केवल राज्यकी पुनर्संरचना से आप मधेशसे सभी सैनिक अड्डा हटा पाएंगे, और पूरे मधेशी सैनिक बना पाएगें ? और क्या ये कभी भी ग्यारेन्टी किया जा सकता है कि केन्द्रिय सरकार कभी मधेशमे सैनिक हस्तक्षेप नही करेगें ? कभी नहीं । और ईसका मतलव ये है कि केन्द्रिय सरकार जब चाहे ईन राज्यों पर जो चाहें कर सकतें हैं, कभी ईमर्जेन्सी तो कभी कर्फ्यू के नाम पर मधेशी की आवाज को सदैव दबा सकतें हैं । और हमें, हमारी माँ-बहनको, ईन पहाडी सैनिकों के खौफमे सदा की तरह जीते रहना पडेगा ।


और ईसका समाधान केवल एक स्वतन्त्र मधेश के बनने से ही हो सकता है, तभी ही मधेश का अपना सैनिक, और अपनी सुरक्षा-प्रणाली बनाया जासकता है ।

कारण-६


सदियों से मधेशी मेहनत करता रहा है, कमाता रहा है; और उनके पैसे से किसी पहाडमे सडक, नहर और पुल बनाया जा रहा है, पहाडमे नई शहर बनाया जा रहा है, और मधेश मे कोई विकास का नामों-निशान तक नहीं । क्या केवल राज्यकी पुनर्संरचना से ये ग्यारेन्टी किया जा सकता है कि मधेशी का पैसा मधेश मे ही लगाया जाएगा और हमे केन्द्रिय सरकार को कुछ नहीं देना पडेगा ?

ऐसा तभी हो सकता है जब हमारा मधेश स्वतन्त्र हो, तभी हम मधेशीके और दाता राष्ट्रके पैसे मधेश मे लगा सकतें हैं और मधेशको शीध्र ही काफी विकसित कर सकतें हैं ।

कारण-७


क्या केवल राज्यकी पुनर्संरचना से मधेशी देशमे और अन्तर्राष्ट्रिय जगतमे अपनी पहचान बना पाएँगे ? नेपाली दिखने के लाख कोशिस के वावजूद भी, एक मधेशी के “मै नेपाली हूँ” कहने पे, उससे “तुम नेपाली जैसा नहीं दिखते हो। नागरिकता दिखाओ।”नहीं कहा जाएगा ? सच्चाई तो यही है कि ‘नेपाल’ या ‘नेपाली’ शब्दमे हमारी कोई पहचान नहीं, ईन शब्दोंमे ऐसा कोई भी चीज या भाव नहीं जो मधेशी को समाबेश करता हो ।


स्वतन्त्र मधेश के बनने से हमारा एक देश होगा, हमारी पहचान होगी, जो मधेशी की संस्कृति, भाषा, रहन-सहन को समेटेगा और कोई हमारी पहचान के उपर ऐसा सवाल नहीं करेगा ।

ईसलिए ये जरूरी है कि हम एक अखण्ड स्वतन्त्र मधेश के लिए संघर्ष करें, न कि केवल राज्यकी पुनर्संरचना के लिए ।
 
Posted on 01-30-07 5:23 AM     Reply [Subscribe]
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Another one

कुछ अपरिहार्य सवाल
Vivaswan (Mod4) on 23 January 2007 - 20:24
कुछ अपरिहार्य सवाल

क्या हमारे नेतालोग अब भी उसी तरह उन पहाडीयों के पिछे कुत्ता बनकर चलते रहना पसंद करेंगे, जिसको हर बक्त वश पहाडियोंका दिया हुआ आदेश पर खाली नाचते रहना पड़ता है, और कुछ नहीं ?


क्या हमारे नेता अब भी भिखारी ही बनकर एक टिकटके लिए या एक निकम्मा पद के लिए पहाडियों के पाँव मलते रहना पसंद करेंगे ?


क्या हमारे नेता उसी तरह नपूंसक बनकर संसद मे अब भी बैठे रहना चाहेंगे, और उपहास का पात्र बने रहना चाहेंगे?


क्या हमसब अब भी उसी देश के उपनिवेश बनकर रहना पसंद करेगें, जो जिस बक्त चाहे जैसा संविधान बनाकर हम पर लगा दे, जैसा भी कानून बनाकर हम पर लगा दे, जो भी नियम बनाकर हमारी जमीन छिन ले, हमें सारे अधिकारों से वंचित कर दे, हमें गैर-नागरिक बना दे, और हमे अपने ही घर से भगा दे ?


क्या हम अब भी उसी देश के बासी होना चाहेगें जहाँ मधेशी के भयानक चित्कार को कोई मेडिया सुनता न हो, मधेशी पर हुए आक्रमन को कोई देखता न हो, न्याय प्रणाली के सारे दरवाजें बन्द हो, मधेशी के लिए कहीं कोई न्याय न हो ?


क्या हम अब भी उसी देश के उपनिवेश बनकर रहना पसंद करेगें, जो जिस बक्त चाहे हम पर कर्फ्यू लगाकर हमारी आवाज को दबा दे, और जब चाहे अपने सैनिक और सशस्त्र पुलिसको परिचालित करके मधेशीका आम-नरसंहार कर दे ?


क्या हम अब भी उसी पहाडियोंको साथ देना पसंद करेंगे जो हमारे ही घर मे आकर आग लगा दे, हमारी माँ-बहनको बलत्कार करे, लुटपाट करे, और हमें और हमारे बच्चों को मार दे, जिन्दा जला दे ?

एक स्वतन्त्र मधेश के अलावा अब कोई और विकल्प नहीं है । जितनी भी राहें थी, सभीको हमने जाँचकर देख लिया है । इन २०० वर्षके उपनिवेश कालमे, चाहे जिसका शासन हो, राजा का हो, राणा का हो, पहाडी-प्रधानमन्त्रीयोंका हो; या फिर जो भी शासन-प्रणाली हो, राजतंत्र, राणातंत्र, प्रजातन्त्र या गणतन्त्र, मधेशीको इन सबसे कुछ फर्क नहीं पड़ता, ये सब पहाड़ीयोंके लिए है । मधेशी इस देशमे दो सौ वर्ष से गुलाम बनकर रहता आया है, और जब तक इस देशमे रहेगा, गुलाम ही बनकर रहेगा, चाहे जो भी शासन-प्रणाली क्यों न आ जाए । और ईसलिए, अगर हम ईस गुलामी से आजाद होना चाहतें हैं, तो अब और कुछ नहीं, भिखारी की तरह ये माँग वो माँग कुछ नहीं, वश एक स्वतन्त्र मधेश के लिए लड़ना है, वश एक स्वतन्त्र मधेश !

जय मधेश !!
 
Posted on 01-30-07 5:23 AM     Reply [Subscribe]
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last one
आजादी-जंग
Suman on 03 January 2007 - 17:05
( Please read the poem ALOUD, so that at least you can hear your voice. You'll notice the difference over silent reading. )


आजादी-जंग (कविता)
-ईँजोड़



सीता बुद्ध जनक जहाँ के
फिर भी दास बने रहे वहाँ पे
सदियों जी ली इन दासतों मे
ऐसे मे जीना क्या !
कदम कदमसे मिले
तो मूश्किल मामला है क्या
कदम कदमसे मिले
तो मूश्किल मामला है क्या


इसलिए,

घनन घनन घनघोर घटा सी
घारी घारी को घेरता जा
मग्न-मग्न मस्त मेघा सी
मल्ल महारथी मँडराता जा
तड़क तड़क तडकता तड़का सा
तांती तांती को तड़काता जा
झर्रर झर्रर झनझोर झरी सी
झाड़-झाड़को झकोरता जा
झनन झनन झांझर-झंकार सी
झुण्ड झुण्ड झनकता जा
ढमक ढमक ढेर ढंढोर सा
ढाबा ढाबा मे ढमकता जा
लपक-लपक लपकती लौ सी
लख लकां लपकता जा
धधक धधक धधकती धर्म-आग सी
धर्म-धूनी धधकाता जा
धर्म-धूनी धधकाता जा


राह न तेरी कोइ रोक सके
बढ़ बढ़ यूं ही बढ़ता जा
धर्म कुरुक्षेत्र पर अब
गरज गरज तू गरजता जा
धर्म बचा उठ़ घनुर्घर
हर जंजीर को तोड़ता जा
धरणि-धेनू बचा धूर्तसे
सब शठ़को तू धरता जा
धर्म विजय के ध्वज़
फरर फरर फहराता जा
रंग-विरंग बहादूरी की तरंग
अंग अंग रंगाता जा
असंख मृदंग बाजे घृतङ
संग-संग लड़ आजादी-जंग
लड़ लड़ तू लड़ता जा
लड़ लड़ तू लड़ता जा

जय मधेश!!
 
Posted on 01-30-07 11:19 AM     Reply [Subscribe]
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sala bihari if i came there gonna whoop ur ass

try ur best
 
Posted on 01-30-07 4:45 PM     Reply [Subscribe]
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यी मधिसेलाई भगवान्ले सुबुद्धि दिउन् ।
 


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