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दावे किए जाते हैं कि भारत 2020 में विकसित देश बन जाएगा। आंकड़ों के ताने
- बाने में बताया जाता है कि हम जल्द ही 10 पर्सेंट की ग्रोथ रेट हासिल कर लेंगे और चीन को पीछे छोड़ देंगे। गर्व से कहा जाता है कि देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर दोगुनी हो गई है। मगर दूसरी तरफ यूएनडीपी की बात मानें तो भारत में सबसे अधिक गरीब रहते हैं। देश में कुल गरीबों की संख्या 42 करोड़ है , जो 26 अफ्रीकी देशों के गरीबों से एक करोड़ ज्यादा है।
यूएनडीपी की ह्यूमन डिवेलपमेंट रिपोर्ट के ताजा संस्करण में कहा गया है कि भारत के बिहार
, उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , झारखंड , उड़ीसा और राजस्थान में गरीबों की बाढ़ है। यहां पर गरीबी निरंतर बढ़ती जा रही है। इसके चलते गरीबों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है।
गौरतलब है कि यूएनडीपी की नजर में गरीब का मतलब है कि वह परिवार जिसे हर रोज एक डॉलर से कम आमदनी पर गुजारा करना पड़ता है। आज के हिसाब से जिस परिवार की आमदनी 45 रुपये या उससे कम है। यूएनडीपी की यह रिपोर्ट अक्टूबर में बाजार में आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के आठ राज्यों में रहने वाले गरीबों की हालत सबसे ज्यादा गरीब अफ्रीकी देश इथोपिया और तंजानिया में रहने वाले गरीबों जैसी है। इन लोगों को न तो हेल्थ की सुविधा प्राप्त हैं और एजुकेशन की। बुनियादी सुविधाओं की बात छोडि़ए इन लोगों को भूख मिटाने के लिए साफ पानी तक नहीं मिलता है। यह लोग गंदे पानी पीकर किसी तरह से जीवन गुजार रहे हैं।
पीएचडीसीसीआई के पूर्व जनरल सेक्रेटरी कृष्ण कालरा का कहना है , यह तो सच है कि हमारे कुछ राज्यों में गरीबी बहुत है। लेकिन अब जो सरकार की नरेगा जैसी नीतियां हैं उनसे काफी अंतर पड़ रहा है। इससे स्थिति में जल्दी सुधार होने की आशा है। सर्वे एजेंसी विनायक इंक के प्रमुख विजय सिंह का कहना है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की असंतुलन की सचाई को व्यक्त करता है। एक तरफ जहां देश में अरबपति और करोड़पति बढ़ रहे हैं
, वहीं दूसरी तरफ गरीबों की संख्या भी बढ़ रही है।
Last edited: 13-Jul-10 09:24 AM