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 nepali film mahotsab in newyork?
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Posted on 10-09-07 11:07 AM     Reply [Subscribe]
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न्यूयॉर्क में एशियाई फ़िल्मों का समारोह
 

 
 
फ़िल्म क्रॉसरोड्स
समारोह में भारतीय फ़िल्मों की धूम है
न्यूयॉर्क में आजकल लोग एक खास फ़िल्म समारोह का आनंद ले रहे हैं जिसमें दक्षिण एशियाई मूल के कलाकारों और फिल्मकारों की फिल्में दिखाई जा रही हैं.

इस समारोह में आए हुए मूल रूप से भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों के यह फ़िल्मकार दुनिया भर के कई देशों जैसे अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी में रहते हैं.

अपनी मातृभूमि को छोड़कर विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के भी कई फ़िल्मकार इस समारोह में भाग ले रहे हैं और उनमें से बहुतों की फ़िल्मों की कहानी भी अप्रवासी भारतीय लोगों पर ही केंद्रित है.

अमरीका में भी क़रीब 20 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं. ये लोग न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, शिकागो, लॉस एंजलेस जैसे शहरों में काफ़ी संख्या में रह रहे हैं.

इस फ़िल्म समारोह में 50 से ज़्यादा अलग-अलग विषयों पर आधारित फ़िल्में दिखाई जा रही है. इनमें फ़ीचर फिल्मों के अलावा कुछ शार्ट फ़िल्में और वृतचित्र भी शामिल हैं.

सिनेमा की भाषा

दक्षिण एशियाई मूल के कलाकारों और फ़िल्मकारों की ये फ़िल्में कई भाषाओं में बनाई गई हैं.

 हमारे इस समारोह का मकसद यही है कि हम दक्षिण एशिया के क्षेत्र के उभरते हुए स्वतंत्र कलाकारों को बढ़ावा दें औऱ उनके काम को आम लोगों तक पहुचाएं
 
मंजरी श्रीवास्तव, समारोह की निदेशक

इनमें अंग्रेज़ी, बंगाली, हिंदी, नेपाली, तमिल और उर्दू भाषाएं शामिल हैं लेकिन सभी फ़िल्मों में अंग्रेज़ी के सबटाइटल्स दिए गए हैं.

समारोह में भारत, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल- इन सभी देशों की फिल्में शामिल हैं.

समारोह की निदेशक मंजरी श्रीवास्तव कहती हैं, “हमारे इस समारोह का मकसद यही है कि हम दक्षिण एशिया के क्षेत्र के उभरते हुए स्वतंत्र कलाकारों को बढ़ावा दें औऱ उनके काम को आम लोगों तक पहुचाएं.”

इस साल इस फ़िल्म समारोह में शबाना आज़मी को दक्षिण एशिया क्षेत्र की फ़िल्मों में उनके योगदान के लिए लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाज़ा गया है.

नए काम और नाम

समारोह में दिखाई जाने वाली फ़िल्मों के निर्देशक या प्रमुख अभिनेता दक्षिण एशियाई मूल के हैं और इनमें से बहुत से ऐसे हैं जो अपनी पहली फ़िल्म लेकर आए हैं.

इनमें से ज़्यादातर फ़िल्मों की कहानी भी दुनिया भर में फैले दक्षिण एशियाई मूल के लोगों पर ही आधारित है.

कुछ तो बड़े बजट की फ़िल्में हैं तो कुछ सामाजिक मुद्दों पर बनाई गई कम बजट वाली फ़िल्में हैं.

दर्शक
इन फ़िल्मों को देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा हो रहे हैं

इस बार भी समारोह में भारतीय मूल के फ़िल्मकारों की फ़िल्में ही ज़्यादा चर्चा में हैं और समारोह की पहली फ़िल्म और आखिरी फ़िल्म भी भारतीय मूल की फ़िल्में हैं.

जिस फ़िल्म की इस बार ज़्यादा चर्चा हो रही है वह है मनीष आचार्य की 'लायंस ऑफ़ पंजाब प्रेज़ेंट्स'. इसके अलावा भावना तलवार की फ़िल्म 'धर्म' की भी ख़ासी चर्चा है.

फ़िल्म 'लायंस ऑफ़ पंजाब प्रेज़ेंट्स' में शबाना आज़मी, आयशा धारकर, और अजय नायडू मुख्य कलाकार हैं.

भारतीय फ़िल्मों का ज़ोर

समारोह के पहले दिन 'लायंस ऑफ़ पंजाब प्रेज़ेंट्स' से ही समारोह की शुरूआत की गई और 9 अक्तूबर को समारोह का समापन भी भारतीय मूल की फ़िल्म 'धर्म' से होगा.

'लायंस ऑफ़ पंजाब प्रेज़ेंट्स' फ़िल्म के निर्दशक इसके बारे में कहते हैं, “कुछ साल से ही हम लोग इस तरह की फ़िल्म बनाने की सोच रहे थे. हमने भारत में लोगों को पुराने से पुराने संगीत से भी इतना लगाव देखा, लोगों में संगीत के लिए जुनून देखा और इसी तरह हमें संगीत के कार्यक्रम पर आधारित कहानी पर फ़िल्म बनाने का ख्याल आया.”

शबाना आज़मी जिन्होंने इस फ़िल्म में एक अलग तरह का रोल किया है, उसके बारे में कहती हैं, “मैंने आजतक अपने फ़िल्म करियर में 'लायंस ऑफ़ पंजाब प्रेज़ेंट्स' जैसी फ़िल्म कभी नहीं की. यह अजीबो-गरीब मज़ाकिया फ़िल्म है. मनीश आचार्य बहुत प्रतिभाशाली निर्देशक हैं.”

फ़िल्म 'धर्म' की भी खासी चर्चा है क्योंकि ऑस्कर में भारत की ओर से उसका नामांकन न किए जाने पर उठे विवाद से लोगों में इस फ़िल्म को लेकर उत्सुकता भी है.

अन्य फ़िल्में

समारोह में दिखाई जाने वाली अन्य क़रीब 50 फ़िल्मों में रितुपर्णो घोष की 'दोसार' फ़िल्म का भी इंतज़ार है लोगों को.

इसके अलावा अन्य चर्चित फ़िल्मों में सोमनाथ सेन की फ़िल्म 'डिप्लोमा' में जया बच्चन ने किरदार निभाया है.

राजश्री ओर्जा की 'चौराहे' फ़िल्म भी चर्चा में है. इसमें सोहा अली ख़ान और विक्टर बैनर्जी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

इसके अलावा अनीश अहलूवालिया की पहली फ़िल्म 'क्या तुम हो' में इंटरनेट चैटिंग के चलन को लेकर भारतीय समाज में हो रही उथल-पुथल को दर्शाया गया है.

ग़ैर भारतीय मूल की फ़िल्मों में पाकिस्तानी मूल के फ़िल्मकारों की 'शेम', 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद', बांग्लादेश की 'सत्येर गाहिनी', श्रीलंका की 'धीवारी', नेपाल की 'डांसिंग काठमांडू', अफ़गानिस्तान की 'मसूद' आदि फ़िल्में भी समारोह

 का हिस्सा हैं.


 
Posted on 10-09-07 11:30 AM     Reply [Subscribe]
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'Guruba' goes to the USA

'Guruba in Australia', that has lead play of comedian Santosh Panta was screened in Virginia, USA on Sunday in the initiation of Radio Dovaan.

Reports from Virginia say a large number of people attending the screening from Washington Metropolis applauded the expertise of making such a creative movie.

They said the film was entertaining, educative and informative with good messages for social changes.

The movie is directed by Nitesh Raj Panta and produced by Shree Maruni Films. Except for a few scenes, the shooting of the movie was completed in Australia.

The film has already been screened in Australia, Canada and other European countries. nepalnews.com ia Oct 09 07http://www.nepalnews.com/archive/2007/oct/oct09/news13.php


 


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